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Monday, August 2, 2010

गार्डन सिटी सिंगापुर

सिंगापुर के मैरिना बे सैंड्स की 57वीं मंजिल पर बने स्काईपार्क के कैंटीलीवर की रेलिंग के सहारे खड़े होकर नीचे देखना रोमांचक था- इस अहसास के साथ कि आपके पैरों के नीचे छत है और उसके नीचे दो सौ मीटर तक कुछ नहीं। एवरेस्ट की आधी ऊंचाई वाले बर्फीले पर्वत नाप लेने के बाद भी सतह से इतना ऊंचे जाने का अपने लिए यह पहला मौका था। नीचे चीटियों से चलते वाहन। दुनिया का सबसे बड़ा ऑब्जर्वेशन व्हील सिंगापुर फ्लायर (लंदन आई से भी बड़ा) भी वहां से बौना लग रहा था। चूंकि वहां से चारों तरफ निगाहें घुमाकर सिंगापुर को निहारा जा सकता था, इसलिए जब दूसरी तरफ देखा तो मैरिना बे के किनारे सिंगापुर की बिजनेस डिस्ट्रिक्ट की ऊंची-ऊंची इमारतें खड़ी थीं।


सिंगापुर की वही छवि तस्वीरों में सबसे ज्यादा देखी जाती रही है- एक-दूसरे से होड़ लगाती आसमान छूती इमारतें। यह शहर-देश आज दुनिया की सबसे विकसित अर्थव्यवस्थाओं में से है। उसने वह सब हासिल किया जो प्राकृतिक रूप से उसके पास नहीं था। उसने हर चीज कृत्रिम रूप से खड़ी की। लेकिन इससे भी बड़ी बात यह थी कि उसने हर उस चीज को भी बहुत कायदे से सहेजकर रखा जो थोड़ी-बहुत उसे प्रकृति की निधि से मिली थी। यही वजह है कि जिस सिंगापुर की छवि एक कंक्रीट के जंगल की हमारे मन में है, वह दरअसल गार्डन सिटी के तौर पर जाना जाता है। इसलिए उस दिन मैरिना बे सैंड्स के स्काईपार्क पर जमीन से दो सौ मीटर ऊंचे खड़े होकर जितना भी अजूबा महसूस हुआ हो, उसकी तुलना उस खुशनुमा अहसास से नहीं की जा सकती जो अगले दिन सिंगापुर के नेशनल ऑर्किड गार्डन में जाकर हुआ। भारत में किसी 55 मंजिला इमारत की कमी महसूस हुई हो या नहीं, लेकिन एक कायदे के बोटैनिकल गार्डन की कमी जरूर महसूस हुई। प्रकृति ने हमें भरपूर दिया है, सिंगापुर से हजारों-लाखों गुना ज्यादा दिया होगा लेकिन जो मिला उसकी कद्र करने के मामले में हम सिंगापुर जैसे छोटे देश से बहुत पीछे हैं। आखिर एक प्रतिबद्धता और ठोस योजना के बिना यह कैसे मुमकिन है।
कैसा संयोग था, ऑर्किड गार्डन में एक सेलेब्रिटी गार्डन भी है, जहां आम तौर पर सिंगापुर आने वाले सेलेब्रिटीज के नाम पर ऑर्किड रखे जाते हैं। सबसे पहले लेडी डायना का नजर आया। मुझे पता था कि उस गार्डन में हमारे बॉलीवुड के दोनों शहंशाहों- अमिताभ बच्चन और शाहरुख खान के नाम पर भी ऑर्किड रखे गए थे। मैंने उन्हें देखने की इच्छा जाहिर की तो हमारे साथ चल रहे बोटैनिकल गार्डन के अधिकारी ने बताया कि उन दोनों ऑर्किड की किस्मों ने फूल देना बंद कर दिया था, इसलिए हमने उन्हें यहां से हटा दिया। हमारे अपने देश में भी तो बगीचों ने ऐसे ही फूल देने बंद कर दिए हैं। वरना गार्डन सिटी कहलाए जाने वाले चंडीगढ़ और बंगलोर जैसे शहर तो हमारे यहां भी हैं।

सिंगापुर का 50 फीसदी हिस्सा हरियाली से आच्छादित है। इस द्वीप देश में जमीन की सीमा के बावजूद दस फीसदी हिस्सा पार्र्को और प्राकृतिक रिजर्व के लिए सुरक्षित है। देश के निर्माण के शुरुआती सालों में ही गार्डन सिटी के तौर पर उसकी परिकल्पना कर ली गई थी। 1967 में जब सिंगापुर में पार्र्को और पेड़ों के लिए अलग प्रशासनिक इकाई बनी तो एक साल के भीतर 50 किस्मों के 15 हजार पेड़ और अगले पांच सालों में दस लाख पेड़-पौधे देशभर में लगाए गए। उसमें किसी तरह का हेरफेर न हुआ, न योजना के स्तर पर, न प्रशासन के स्तर पर, न प्रतिबद्धता के स्तर पर, न संसाधनों के स्तर पर और न ही लोगों के सोच के स्तर पर। यही वजह थी कि मैरिना बे सैंड्स की 57वीं मंजिल पर बने स्काईपार्क में ढाई सौ से ज्यादा पेड़ और साढ़े छह सौ से ज्यादा पौधों का बगीचा लगा था। सिंगापुर ने पार्र्को को न केवल सहेजा बल्कि उन्हें सुंदर बनाया, सजाया और कलाकृतियों का रूप दिया। लोगों को उनसे जोड़ने और उनमें लोगों का आकर्षण बनाए रखने के लिए नित नए तरीके खोजे। अब इस सारी कवायद को अगले स्तर पर ले जाकर सिंगापुर को गार्डन सिटी के बजाय सिटी इन ए गार्डन बनाए जाने की योजना है जिसमें पूरे द्वीप को एक विशाल ट्रॉपिकल गार्डन में तब्दील कर दिया जाएगा और उसका सारा शहरी ढांचा उस बगीचे में घोसलों सरीखा होगा। प्रकृति से दोस्ती यहां की संस्कृति में है। यहां के सारे पार्र्को व सड़कों की हरियाली का जिम्मा उठाने वाले नेशनल पा‌र्क्स बोर्ड में महज आठ सौ कर्मचारी हैं, लेकिन कहीं कोई कमी नजर नहींआती। रखरखाव किस तरह किया जाता है, इसका उदाहरण देखिए कि एक तय उम्र से ज्यादा पार कर चुके पेड़ों को हेरिटेज ट्री मान लिया जाता है और उनकी खास देखभाल की जाती है। ज्यादा ऊंचे पेड़ों को आकाशीय बिजली से बचाने के लिए अर्रि्थग का इंतजाम है, और वह ऐसा है कि बोर्ड के पास इस बात का पूरा रिकॉर्ड है कि किस पेड़ पर कितनी बार बिजली गिरी।

लिहाजा सिंगापुर को केवल उसके बगीचों के लिए भी देखने जाया जा सकता है। सिंगापुर में पार्क कनेक्टर नेटवर्क के जरिये सारे पार्र्को और नेचर रिजर्र्वो को जोड़ा जा रहा है। सौ किलोमीटर का पार्क कनेक्टर तैयार हो चुक है और इसे 2013 तक तीन सौ किलोमीटर कर दिया जाना है। एक डेढ़ सौ किलोमीटर का पूरे द्वीप का चक्कर लगाने वाला रूट भी तैयार हो रहा है। सिंगापुर में चार नेचुरल रिजर्व हैं- बुकित तिमाह, सेंट्रल कैचमेंट, सुंगेई बुलोह वेटलैंड रिजर्व और लैब्रेडोर नेचर रिजर्व। सुंगेई बुलोह प्रवासी पक्षियों का प्रमुख स्थान है। सेंट्रल कैचमेंट रिजर्व में सिंगापुर का पहला ट्री-टॉप वॉक स्थित है, जिसमें जंगल को ऊपर से देखने के लिए ढाई सौ मीटर लंबा झूलता पुल भी है। यहां कई दुर्लभ पेड़ों के अलावा कई अनूठे पक्षी और रेप्टाइल भी हैं- जिनमें ब्लैक-बीयर्डेड ड्रैगन और क्लाउडेड मॉनीटर शामिल हैं। चेक जावा वेटलैंड इस मामले में अनूठा है कि यहां कई इकोसिस्टम एक साथ देखे जा सकते हैं- रेतीला तट, पथरीला तट, सीग्रास लैगून, कोरल रबल, मैंग्रूव व तटीय जंगल।

सिंगापुर बोटैनिकल गार्डन 63.7 हेक्टेयर में फैला है। 1859 में बने इस बोटैनिकल गार्डन में दस हजार से ज्यादा किस्म के पेड़ हैं। दक्षिण एशिया में बागवानी पर अध्ययन, अनुसंधान व संरक्षण का भी यह बहुत बड़ा केंद्र हैं। हर साल तीस लाख लोग इस गार्डन को देखने आते हैं। 2008 में टाइम मैगजीन ने इसे एशिया का सर्वश्रेष्ठ शहरी जंगल आंका था। इसी के बीचोंबीच सिंगापुर का नेशनल ऑर्किड गार्डन है, जिसे वाकई सिंगापुर का कोहिनूर कहा जा सकता है। ऑर्किड सिंगापुर का राष्ट्रीय फूल भी है। तीन हेक्टेयर में फैले इस गार्डन में साठ हजार से ज्यादा रंग बिखेरते पौधे हैं। यह ट्रॉपिकल ऑर्किड का दुनिया का सबसे बड़ा संग्रह माना जाता है। यहां ऑर्किड चार मौसमों के हिसाब से अलग-अलग वातावरण में रखे गए हैं। जाहिर है, हर मौसम के फूलों के रंग भी अलग हैं। इस गार्डन को देखने का अनुभव वाकई अद्भुत है।

फोर्ट कैनिंग व ईस्ट कोस्ट पार्क भी देखने लायक हैं। देखने लायक होगा 111 हेक्टेयर में मैरिना बे पर बन रहा गार्डन बाय द बे भी जो अगले साल शुरू हो जाएगा। सिंगापुर में कई पार्क हैं। हरियाली को लेकर उसका प्रेम वहां की व्यस्ततम कमर्शियल सड़क ऑर्चर्ड रोड पर घूमते हुए भी आपको दिख जाएगा।

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